एनआरसी को लेकर मध्य प्रदेश के मुफ्ती-ए-आज़म की अपील – मुस्लिम समुदाय तैयार रखें जरूरी दस्तावेज

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर एक बार फिर देश में चर्चा तेज हो गई है। इस बार मध्य प्रदेश से एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां प्रदेश के मुफ्ती-ए-आजम डॉ. मौलाना मोहम्मद मुजाहिद रज़ा ने मुस्लिम समुदाय के लोगों से सतर्क रहने और नागरिकता से जुड़े दस्तावेजों की तैयारी करने की अपील की है। उनका पत्र सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसे लेकर विभिन्न हलकों में चर्चा हो रही है।
मुफ्ती–ए–आजम ने क्यों की दस्तावेज तैयार रखने की अपील?
मौलाना मुजाहिद रज़ा ने अपने पत्र में कहा है कि मध्य प्रदेश में कभी भी एनआरसी लागू हो सकता है, इसलिए मुस्लिम समाज को पहले से सभी ज़रूरी दस्तावेजों की तैयारी कर लेनी चाहिए।
उन्होंने लिखा है कि नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज जैसे:
- जन्म प्रमाण पत्र
- जाति प्रमाण पत्र
- विवाह प्रमाण पत्र
- निवासी प्रमाण पत्र
- मृत्यु प्रमाण पत्र (परिवार के सदस्य के संबंध में)
- बिजली बिल
- राशन कार्ड
- बैंक पासबुक
- पासपोर्ट
- आधार कार्ड
- पैन कार्ड आदि
को सही और अपडेट रखना अत्यंत आवश्यक है। दस्तावेजों में नाम की स्पेलिंग एक जैसी होनी चाहिए, क्योंकि अलग-अलग कागजों में नाम की गड़बड़ी नागरिकता को लेकर संदेह पैदा कर सकती है।
एनआरसी को लेकर उनकी मुख्य चिंता
अपने खत में मौलाना ने कहा है कि देश में एनआरसी की चर्चा पहले भी हो चुकी है, और केंद्र की भाजपा सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से देख रही है। उन्होंने यह भी दावा किया कि
“हमारा नाम हर लिस्ट में सबसे ऊपर होता है।”
यह कहकर उन्होंने इशारा किया कि मुस्लिम समुदाय को इस तरह की प्रक्रियाओं में सबसे पहले प्रभावित किया जा सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि एनआरसी का क्रियान्वयन असम में हो चुका है, और अब यह संभव है कि अन्य राज्यों में भी इसे लागू किया जाए। इसलिए समय रहते सभी जरूरी दस्तावेज तैयार करने की ज़रूरत है।
दोस्तों और पड़ोसियों की मदद की अपील
मौलाना ने अपने खत में सिर्फ अपने लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए सोचने की बात कही। उन्होंने लोगों से कहा कि जो भी अपने दस्तावेजों को दुरुस्त कर चुके हैं, वे अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों की भी मदद करें।
“काल करे सो आज कर, आज करे सो अब,”
यह कहकर उन्होंने ज़ोर दिया कि दस्तावेज़ तैयार करने में देरी न करें। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि पुराने दस्तावेजों को संभालकर रखें, उनकी लैमिनेशन करवा लें और सुरक्षित जगह पर रखें ताकि ज़रूरत के समय आसानी से उपलब्ध हो सकें।
एनआरसी क्या है?
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) भारत के सभी वैध नागरिकों की एक सूची है, जिसे पहली बार 1951 में तैयार किया गया था। लेकिन 2003 में नागरिकता कानून में संशोधन के बाद इसे और विस्तृत किया गया।
- इसका उद्देश्य है कि भारत में कौन वैध नागरिक है और कौन नहीं, यह तय किया जा सके।
- अभी तक यह प्रक्रिया केवल असम में लागू हुई है, जहां बड़ी संख्या में लोगों को बाहर कर दिया गया था।
- इस प्रक्रिया में जिनके पास अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज नहीं होते, उन्हें ‘घुसपैठिया’ माना जा सकता है।
दस्तावेजों में एकरूपता क्यों ज़रूरी है?
मौलाना ने खास तौर पर इस बात पर ज़ोर दिया कि सभी दस्तावेजों में नाम, जन्मतिथि और पते की स्पेलिंग एक जैसी होनी चाहिए। यदि किसी दस्तावेज में नाम “अब्दुल्ला” लिखा है और दूसरे में “अब्दुल्लाह”, तो यह विवाद का कारण बन सकता है। इसी तरह जन्मतिथि में अंतर भी नागरिकता पर प्रश्न खड़े कर सकता है। इसलिए उन्होंने डिटेल्स को मिलाकर सुधारने की सलाह दी है।
मध्य प्रदेश के मुफ्ती-ए-आज़म का यह पत्र आने वाले समय की तैयारी के लिए एक चेतावनी जैसा माना जा रहा है। एनआरसी को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन मौलाना का कहना है कि अगर भविष्य में ऐसा कुछ होता है, तो मुस्लिम समुदाय को किसी भी मुश्किल का सामना न करना पड़े, इसलिए अभी से पूरी तैयारी जरूरी है।
यह वक्त है सतर्क रहने का, समाज में जागरूकता फैलाने का और सभी को यह समझाने का कि नागरिकता से जुड़े दस्तावेज सिर्फ सरकारी कागज नहीं, बल्कि हमारी पहचान और अधिकार का आधार हैं।